शनिवार, 5 जुलाई 2014

I Remember My Future

मैं, मैं ही हूँ
बिना किसी के जीवन को प्रभावित किये
'शुद्ध मैं'
जब मैं कहता हूँ कि मैं एक हफ़्ते बाद आत्महत्या कर लूँगा
तो मैं नहीं चाहता कि मेरा इंतज़ार किया जाय एक हफ्ते तक
क्यूंकि मैं आज ही आत्महत्या कर चुका एक हफ़्ते बाद
जब मैं कहता हूँ कुछ भी
मैं जी रहा होता हूँ वो सब कुछ
जब मैं होता हूँ कोई और
तो मैं वो ही होता हूँ
मैं मैं ही होता हूँ
अन्यथा नहीं

सत्य पता लगने पर ही असत्य ज्ञात होगा तुम्हें
अतः स्वप्न देखे जाने वाले क्षणों में वास्तविकता हैं
निजी स्वप्न किसी भी दशा में देखे जाने चाहिए

जिस तरह भविष्य याद है अब भी मुझे
उस तरह सन 2003 में समझ आएगी तुम्हें ये बात

1 टिप्पणी:

  1. आपने बहुत ही शानदार पोस्ट लिखी है. इस पोस्ट के लिए Ankit Badigar की तरफ से धन्यवाद.

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'ज़िन्दगी' भी कितनी लम्बी होती है ना??
'ज़िन्दगी' भर चलती है...